अ
-
अ
अ
+
A
A
स्क्रीन वाचक
मुख्य सामग्री की ओर जाये
नेविगेशन की ओर जाये
हिन्दी
English
एडवांस्ड सर्च
लॉग-इन करे
मध्य प्रदेश शासन
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग
(उद्योग संचालनालय, मध्यप्रदेश)
मुख्य पृष्ठ
हमारे बारे में
संगठन फ्लो चार्ट
विभाग का उद्देश्य
दृष्टि पत्र
विभागीय गतिविधियाँ
विभिन्न स्तरों पर कार्य और ज़िम्मेदारियाँ
आंकड़े
प्रशासकीय प्रतिवेदन
बजट
अधिनियम और नियम
Financial Assistance
सुविधा परिषद
सुविधा परिषद नियम - 2017
सुविधा परिषद प्रकरण सूची
परिपत्र, आदेश एवं संपर्क करें
कॉज लिस्ट
अधोसंरचना एवं भूमि
इ टेंडर एवं ऑक्शन
नीतियाँ
योजनाएं
वित्तीय सहायता
स्वरोजगार योजनायें
मुख्यमंत्री युवा उधमी योजना
मध्य प्रदेश वेंचर फाइनेंस लिमिटेड
एमएसएमई के लिए भारत सरकार की योजनाएं
कौशल विकास योजनाएं
ऑनलाइन सेवाएँ
म.प्र. इन्क्यूबेशन केंद्र पंजीयन
एमआईएस
एमएसएमई उद्यम पंजीयन
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम)
ऑनलाइन रिक्त औधोगिक भूमि आवंटन (न्यू)
एमएसईएफसी मामले विवरण
एमएसएमई पुरस्कार
स्टार्टअप
स्टार्टअप पालिसी, दिशा निर्देश एवं आदेश
स्वयं प्रमाणन के लिए आवेदन करें
एमपी इन्क्यूबेशन पंजीकरण
एमपी स्टार्ट-अप पंजीकरण
सहायता के लिए आवेदन करे
मेंटर नेटवर्क
बौद्धिक संपदा सहायता केंद्र
इन्क्यूबेशन नेटवर्क
एन्जिल नेटवर्क
वेंचर फंडिंग
उद्यमी सहायता
पार्टनरशिप सपोर्ट
इनोवेशन सोसाइटी
शिकयतों का निराकरण
इवेंट्स
हेल्प सेंटर एंड एफएक्यू
पार्टनर इनक्यूबेटर के लिए आवेदन
परिपत्र
hhhhhhhh
iiii
jjjjjjj
yyyy
मुख्य पृष्ठ
हमारे बारे में
विभाग का उद्देश्य
विभाग का उद्देश्य
राज्य का औद्योगीकरण।
सूक्ष्म, लघु
और
मध्यम उद्योगों का विकास।
राज्य के औद्योगिक और सामाजिक अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए निवेश को आकर्षित करना।
राज्य की औद्योगिक इकाइयों को आधुनिक और मजबूत कर उन्हें विश्व स्तर पर सक्षम बनाना।
राष्ट्रीय / अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए सक्षम बनाने हेतु उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण।
उद्योगों के विकास के लिए उद्योग मित्र माहौल और उपयुक्त नीतियां बनाना।
उद्योग और अन्य एजेंसियों के बीच समन्वय व मदद करना तथा एक सुविधाकर्ता के रूप में काम करना।
औद्योगिक विकास के लिए आधारभूत अधोसंरचना का निर्माण।
स्वरोजगार योजनाओं के माध्यम से रोजगार के अवसरों का सृजन।
शिक्षित युवा बेरोजगारों के मध्य उद्यमिता कौशल विकास एवं प्रशिक्षण।
शिक्षित युवा बेरोजगारों को स्वरोजगार चुनने के लिए प्रोत्साहित करना।
बीमार/बंद औद्योगिक इकाइयों का पुनर्जीवन।